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Devendra Vishwakarma

1➤ निम्न में कौन बहुपद नहीं है |

1 point

2➤ एक घात वाले बहुपद को क्या कहते हैं |

1 point

3➤ द्विघातीय बहुपद में अधिकतम कितनी घात होती है |

1 point

4➤ रैखिक बहुपद ax+b का शून्यक होगा |

1 point

5➤
`10x^{4}+12^{3}-15^{2}+25x+46` बहुपद में बहुपद की घात है।

1 point

6➤ यदि बहुपद p(x) का एक शून्यक-1 है तो p (x) का एक गुणनखण्ड होगा |

1 point

7➤ एक त्रिघातीय बहुपद में अधिक से अधिक कितने शून्यक हो सकते हैं ।

1 point

8➤ वर्ग समीकरण का व्यापक रूप है।

1 point

9➤
बहुपद `ax^2+bx+c` के शून्यक α और β हैं तो α . β का मान होगा ।

1 point

10➤ दो बहुपदों का गुणनफल एक.............. होता है |

1 point

11➤ p(x) = g(x)×q(x)+.................

1 point

12➤ एक घात वाले बहुपद को क्या कहते हैं ।

1 point

13➤
बहुपद `x^2+ 2x+1` के गुणनखण्ड है ।

1 point

14➤
बहुपद `x^2+ 3x+2` के शून्यक है ।

1 point

15➤
बहुपद `ax^3+bx^2+cx+d` के शून्यक α , β और γ हैं तो α β γ का मान होगा ।

1 point

16➤
बहुपद `x^2-3` के शून्यक होंगे ।

1 point

17➤
`sqrt(x)+3` बहुपद है ।

1 point

18➤
बहुपद `x^2-15` के शून्यक +15 और -15 हैं ।

1 point

19➤ बहुपद p(x) में x की उच्चतम घात बहुपद की घात नहीं कहलाती है ।

1 point

अन्योक्ति अलंकार- 

   जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति  अलंकार होता है। 
अथवा जब अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाता है , तब अन्योक्ति अलंकार होता है।  जैसे-

1.  नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
     अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

स्पष्टीकरण -
यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे।  



2.  इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
     अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

3. माली आवत देखकर कलियन करी पुकार। 
    फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।। 

4. केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर। 
    अब  ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।। 

Devendra Vishwakarma

1➤ निम्न में कौन सी एक अपरिमेय संख्या है।

1 point

You Got

 अन्योक्ति अलंकार- 

   जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति  अलंकार होता है। 
अथवा जब अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाता है , तब अन्योक्ति अलंकार होता है।  जैसे-

1.  नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
     अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

स्पष्टीकरण -
यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे।  



2.  इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
     अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

3. माली आवत देखकर कलियन करी पुकार। 
    फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।। 

4. केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर। 
    अब  ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।। 

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const date = document.getElementById("date");
date.innerHTML = new Date().getFullYear();
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date.innerHTML = new Date().getFullYear();
</script>
अन्योक्ति अलंकार- 

   जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। 
अथवा जब अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाता है , तब अन्योक्ति अलंकार होता है। जैसे-

1. नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
     अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।
स्पष्टीकरण -
यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे।  



2. इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
     अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

3. माली आवत देखकर कलियन करी पुकार। 
    फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।। 

4. केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर। 
    अब ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।। 

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</script>अन्योक्ति अलंकार- 
   जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति  अलंकार होता है। 
अथवा जब अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाता है , तब अन्योक्ति अलंकार होता है।  जैसे-

1.  नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
     अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

स्पष्टीकरण -
यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे।  



2.  इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
     अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

3. माली आवत देखकर कलियन करी पुकार। 
    फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।। 

4. केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर। 
    अब  ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।। 

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अन्योक्ति अलंकार- 

   जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति  अलंकार होता है। 
अथवा जब अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाता है , तब अन्योक्ति अलंकार होता है।  जैसे-

1.  नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
     अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

स्पष्टीकरण -
यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे।  



2.  इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
     अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

3. माली आवत देखकर कलियन करी पुकार। 
    फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।। 

4. केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर। 
    अब  ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।। 

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'\frac{a}{b}'

Devendra Vishwakarma

 जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति  अलंकार होता है। 

अथवा जब अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाता है , तब अन्योक्ति अलंकार होता है।  जैसे-

1.  नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
     अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

स्पष्टीकरण -
यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे।  



2.  इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
     अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

3. माली आवत देखकर कलियन करी पुकार। 
    फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।। 

4. केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर। 
    अब  ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।। 

अन्योक्ति अलंकार- 

   जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। 

अथवा जब अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाता है , तब अन्योक्ति अलंकार होता है। जैसे-


1. नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।

     अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

स्पष्टीकरण -

यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे।  




2. इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।

     अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।


3. माली आवत देखकर कलियन करी पुकार। 

    फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।। 


4. केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर। 

    अब ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।। 

Devendra Vishwakarma

 जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति  अलंकार होता है। 

अथवा जब अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाता है , तब अन्योक्ति अलंकार होता है।  जैसे-

1.  नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
     अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

स्पष्टीकरण -
यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे।  



2.  इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
     अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

3. माली आवत देखकर कलियन करी पुकार। 
    फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।। 

4. केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर। 
    अब  ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।। 

अन्योक्ति अलंकार- 

   जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति  अलंकार होता है। 
अथवा जब अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाता है , तब अन्योक्ति अलंकार होता है।  जैसे-

1.  नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
     अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

स्पष्टीकरण -
यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे।  



2.  इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
     अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

3. माली आवत देखकर कलियन करी पुकार। 
    फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।। 

4. केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर। 
    अब  ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।। 

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