Devendra Vishwakarma

1➤ निम्न में कौन सी एक अपरिमेय संख्या है।

1 point

You Got

 अन्योक्ति अलंकार- 

   जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति  अलंकार होता है। 
अथवा जब अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाता है , तब अन्योक्ति अलंकार होता है।  जैसे-

1.  नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
     अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

स्पष्टीकरण -
यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे।  



2.  इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
     अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

3. माली आवत देखकर कलियन करी पुकार। 
    फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।। 

4. केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर। 
    अब  ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।। 

<script type="text/javascript" charset="utf-8">
const date = document.getElementById("date");
date.innerHTML = new Date().getFullYear();
</script>

<script type="text/javascript" charset="utf-8">
const date = document.getElementById("date");
date.innerHTML = new Date().getFullYear();
</script>
अन्योक्ति अलंकार- 

   जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। 
अथवा जब अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाता है , तब अन्योक्ति अलंकार होता है। जैसे-

1. नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
     अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।
स्पष्टीकरण -
यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे।  



2. इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
     अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

3. माली आवत देखकर कलियन करी पुकार। 
    फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।। 

4. केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर। 
    अब ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।। 

<script type="text/javascript" charset="utf-8">
const date = document.getElementById("date");
date.innerHTML = new Date().getFullYear();
</script>

<script type="text/javascript" charset="utf-8">
const date = document.getElementById("date");
date.innerHTML = new Date().getFullYear();
</script>अन्योक्ति अलंकार- 
   जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति  अलंकार होता है। 
अथवा जब अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाता है , तब अन्योक्ति अलंकार होता है।  जैसे-

1.  नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
     अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

स्पष्टीकरण -
यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे।  



2.  इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
     अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

3. माली आवत देखकर कलियन करी पुकार। 
    फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।। 

4. केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर। 
    अब  ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।। 

<script type="text/javascript" charset="utf-8">
const date = document.getElementById("date");
date.innerHTML = new Date().getFullYear();
</script>

<script type="text/javascript" charset="utf-8">
const date = document.getElementById("date");
date.innerHTML = new Date().getFullYear();
</script>

अन्योक्ति अलंकार- 

   जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति  अलंकार होता है। 
अथवा जब अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाता है , तब अन्योक्ति अलंकार होता है।  जैसे-

1.  नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।
     अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

स्पष्टीकरण -
यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे।  



2.  इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।
     अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

3. माली आवत देखकर कलियन करी पुकार। 
    फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।। 

4. केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर। 
    अब  ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।। 

<script type="text/javascript" charset="utf-8">
const date = document.getElementById("date");
date.innerHTML = new Date().getFullYear();
</script>

<script type="text/javascript" charset="utf-8">
const date = document.getElementById("date");
date.innerHTML = new Date().getFullYear();
</script>
'\frac{a}{b}'

No comments:

Post a Comment

arrow_upward